“हरियाली, भक्ति और वर्षा का महीना – यही है पावन सावन।”

सावन, हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष का पाँचवाँ महीना होता है। यह मास विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। यह महीना वर्षा ऋतु का मुख्य समय भी होता है, जब धरती हरियाली से सज जाती है और वातावरण में एक आध्यात्मिक ताजगी फैल जाती है।
🌧 सावन कैसे बनता है? (विज्ञान की दृष्टि से)

सावन का मौसम मानसून से जुड़ा होता है। जब सूरज की तेज़ गर्मी से समुद्र का पानी वाष्प बनकर ऊपर उठता है, तो यह वाष्प बादलों में बदल जाती है। फिर यह बादल धीरे-धीरे उत्तर भारत की ओर बढ़ते हैं। जैसे ही ये बादल ठंडी जगहों पर पहुँचते हैं, पानी की बूंदों के रूप में वर्षा होती है।
भारत में मानसून लगभग जून के अंत से शुरू होकर जुलाई-अगस्त तक सक्रिय रहता है। सावन का महीना (जुलाई से अगस्त) इसी समय आता है, इसलिए इसे वर्षा और हरियाली का महीना कहा जाता है।

🕉 धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व
सावन का महीना केवल मौसम का नहीं, बल्कि भक्ति और आत्मशुद्धि का पर्व है। इस महीने में लोग विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
सोमवार व्रत: सावन के सोमवार भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं। भक्त उपवास रखते हैं और शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध आदि अर्पित करते हैं।
कांवड़ यात्रा: लाखों शिवभक्त नदियों से गंगाजल लाकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।
महादेव का ध्यान: इस मास में ध्यान, जप और भक्ति से आत्मा को शांति और ऊर्जावान अनुभव होता है।
🌱 सावन के प्राकृतिक लाभ

धरती में हरियाली आती है।
खेती के लिए पानी की उपलब्धता होती है।
मौसम ठंडा और मनमोहक हो जाता है।
बच्चों को प्रकृति से जुड़ने का अवसर मिलता है।
🙏 बच्चों को सावन का महत्व कैसे सिखाएँ?

- शिवभक्ति सिखाएँ – बच्चों को आसान मंत्र, श्लोक और शिव की कथाएँ सुनाएँ।
- प्रकृति का महत्व समझाएँ – बारिश, पेड़-पौधे, और जल संरक्षण के बारे में बताएं।
- कला और संस्कार – बच्चों से सावन पर चित्र बनवाएँ, भक्ति गीत गवाएँ।
✨ निष्कर्ष
सावन केवल एक मौसम नहीं है, यह एक भाव है – भक्ति का, शुद्धता का और प्रकृति के प्रेम का। यह हमें शिव से जुड़ने, प्रकृति से जुड़ने और अपने भीतर की ऊर्जा को पहचानने का अवसर देता है।
इस सावन, आइए हम सभी अपने बच्चों को भी इसका गहरा महत्व समझाएं – ताकि वो सिर्फ प्रकृति नहीं, अपने संस्कारों से भी जुड़ सकें।
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🕉 “हर हर महादेव, सावन मंगलमय हो।” 🌧