परिचय: सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। यह माह विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। सावन के महीने में हर सोमवार को ‘सावन सोमवार’ कहा जाता है। यह व्रत, पूजा और भक्ति के लिए सर्वोत्तम समय होता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सावन सोमवार का अर्थ क्या है, क्यों मनाया जाता है, इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या है और इस दिन क्या करना चाहिए।
सावन महीने का महत्व क्या है?

सावन मास हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास कहलाता है, जो जुलाई-अगस्त के महीने में आता है। इस समय वर्षा ऋतु का आगमन होता है और प्रकृति अपने पूर्ण सौंदर्य में होती है। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है।
मान्यता है कि इस मास में किए गए व्रत, पूजा और जप का फल कई गुना अधिक मिलता है। इस मास में गंगा, शिवलिंग और बेलपत्र का विशेष महत्व होता है।
सावन सोमवार का महत्व क्या है?

सावन सोमवार भगवान शिव के लिए विशेष उपासना का दिन है। पूरे महीने के हर सोमवार को भक्तगण व्रत रखते हैं और शिवजी का जलाभिषेक करते हैं।
महत्वपूर्ण कारण:
भगवान शिव ने इसी महीने में समुद्र मंथन से निकले विष को ग्रहण कर संसार की रक्षा की थी।
सावन सोमवार पर व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित लड़कियों द्वारा अच्छे वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं।
सावन सोमवार का धार्मिक इतिहास

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला तो देवताओं और दैत्यों ने भगवान शिव से सहायता मांगी। शिवजी ने संसार की रक्षा के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण किया और ‘नीलकंठ’ कहलाए। इससे शिवजी का शरीर गर्म हो गया। तभी सभी देवताओं ने उन्हें जल चढ़ाकर शांत किया। तभी से सावन मास में शिवजी का जलाभिषेक विशेष माना जाता है।
सावन सोमवार व्रत कैसे करें?
व्रत की विधि:
- प्रातः स्नान और संकल्प लें:
प्रातः जल्दी उठें, स्नान करें।
शुद्ध वस्त्र पहनें।
व्रत का संकल्प लें – “मैं आज शिवजी का व्रत रखूंगा/रखूंगी, सच्चे मन से पूजा करूँगा।”
- शिवलिंग का पूजन करें:
शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत, सफेद फूल चढ़ाएँ।
पंचामृत से स्नान कराकर गंगाजल अर्पित करें।
- शिव मंत्र का जप करें:
“ॐ नमः शिवाय” का जप कम से कम 108 बार करें।
रुद्राष्टक, शिव चालीसा या शिव सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- व्रत का पालन:
व्रती दिनभर उपवास रखते हैं या फलाहार करते हैं।
शाम को पूजा के बाद एक बार भोजन कर सकते हैं।
- कथा श्रवण:
सावन सोमवार व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
सावन सोमवार व्रत कथा संक्षेप में

प्राचीन काल में एक निर्धन ब्राह्मण था जो हर सोमवार व्रत करता था। भगवान शिव से उसने यह व्रत एक अच्छा जीवन साथी और सुखी जीवन प्राप्ति के लिए रखा था। उसके कठिन तप और व्रत से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे मनचाहा वरदान दिया। तभी से यह व्रत प्रचलित हुआ और माना जाता है कि सावन सोमवार व्रत करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
सावन सोमवार के दिन क्या करना चाहिए?

करने योग्य कार्य क्या करना चाहिए
प्रातः जल्दी उठें स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
व्रत का संकल्प भगवान शिव की पूजा का संकल्प लें।
शिवलिंग अभिषेक जल, दूध और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें।
बेलपत्र चढ़ाना 3 बेलपत्र पर ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर चढ़ाएँ।
मंत्र जाप कम से कम 108 बार “ॐ नमः शिवाय” जप करें।
व्रत नियम दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत करें।
कथा श्रवण सावन सोमवार की कथा जरूर सुनें।
दान-पुण्य गरीबों को भोजन और दान करें।
सावन सोमवार के लाभ
- मनोकामना पूर्ति:
श्रद्धा से व्रत करने पर भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- सुख-समृद्धि:
परिवार में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
- आध्यात्मिक लाभ:
यह व्रत मन, वचन और कर्म की शुद्धि का मार्ग है। जीवन में सकारात्मकता और शुद्ध विचार आते हैं।
- शारीरिक लाभ:
फलाहार और उपवास से शरीर में हल्कापन और मानसिक शांति का अनुभव होता है।
- वैवाहिक सुख:
विवाहित महिलाएँ इस व्रत से अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाती हैं और कुंवारी कन्याएँ अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं।
सावन सोमवार व्रत में क्या न करें?
अनावश्यक क्रोध न करें।
मांसाहार और शराब का सेवन न करें।
झूठ न बोलें।
किसी का दिल न दुखाएँ।
तामसिक भोजन से दूर रहें।
सावन सोमवार पर शिवजी को क्या चढ़ाना चाहिए?
शिव जी को प्रिय चीजें:
जल और गंगाजल
बेलपत्र (त्रिपत्रक)
धतूरा और भांग
सफेद फूल (कनेर, आक)
पंचामृत
जनेऊ और चंदन
भूलकर भी न चढ़ाएं:
केतकी का फूल
तुलसी के पत्ते
हल्दी
सावन सोमवार के अन्य पर्व

सावन में सिर्फ सोमवार ही नहीं, अन्य पर्व भी विशेष महत्व रखते हैं:
हरियाली तीज – शिव-पार्वती का पुनर्मिलन दिवस।
नाग पंचमी – नाग देवता की पूजा।
रक्षा बंधन – भाई-बहन के प्रेम का पर्व।
श्रावणी पूर्णिमा – ऋषि ऋण चुकाने का दिन।
भारत में सावन सोमवार का भव्य आयोजन
काशी विश्वनाथ, वाराणसी:
हर सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर में करोड़ों श्रद्धालु जल चढ़ाने आते हैं।
बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर:
झारखंड में विश्वप्रसिद्ध देवघर का सावन मेला बहुत प्रसिद्ध है।
बाबा अमरनाथ यात्रा:
जम्मू कश्मीर में भगवान अमरनाथ की यात्रा सावन में होती है, जो शिवभक्तों का सबसे पवित्र तीर्थ है।
हरिद्वार का कांवड़ मेला:
हरिद्वार में गंगाजल लेने वाले भक्त शिवमंदिरों में जल अर्पित करते हैं।
सावन सोमवार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वर्षा ऋतु में उपवास से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।
जलाभिषेक करने से मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
प्रकृति का सौंदर्य और हरियाली मन को प्रसन्न करती है।
निष्कर्ष
सावन सोमवार केवल एक व्रत नहीं बल्कि आत्मशुद्धि और भगवान शिव से जुड़ने का एक अद्भुत अवसर है। यह जीवन में संयम, श्रद्धा और भक्ति की भावना जागृत करता है। भगवान शिव अति सरल और दयालु देवता माने जाते हैं, जो अपने भक्तों को शीघ्र आशीर्वाद देते हैं।
सावन के पावन महीने में शिवजी की उपासना कर आप अपने जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति ला सकते हैं।
आप सभी को सावन मास और सावन सोमवार की मंगलमय शुभकामनाएं।